Jan 17, 2011

यूँ तेरी रहगुज़र से

यूँ तेरी रहगुज़र से दीवानावार गुज़रे
काँधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुज़रे

बैठे रहे हैं रस्ते में दिल का खँडहर सजा के
शायद इसी तरफ से एक दिन बहार गुज़रे

बहती हुई ये नदिया घुलते हुए किनारे
कोई तो पार उतरे कोई तो पार गुज़रे

तूने भी हमको देखा हमने भी तुझको देखा
तू दिल ही हार गुज़रा हम जां हार गुज़रे |
                                                 --- मीना कुमारी 'नाज़'
 

No comments:

Post a Comment