Jan 19, 2011

ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे

ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे किसी से हम
पर क्या करें कि हो गए नाचार जी से हम

हम से न बोलो तुम इसे कहते हैं क्या भला
इन्साफ कीजे पूछते हैं आप ही से हम

क्या गुल खिलेगा देखिये है फ़स्ल-ए-गुल तो दूर
और सू-ए-दश्त भागते हैं कुछ अभी से हम

क्या दिल को ले गया कोई बेगाना आशना
क्यों अपने जी को लगते हैं कुछ अजनबी से हम
                                                        ------- मोमिन खान मोमिन 

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