Jan 17, 2011

चाँद तनहा है आसमां तनहा

चाँद तनहा है आसमां तनहा
दिल मिला है कहाँ कहाँ तनहा

बुझ गयी आस छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तनहा

जिंदगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तनहा है और जां तनहा

हमसफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे तनहा तनहा

जलती बुझती सी रौशनी के परे
सिमटा सिमटा सा एक मकां तनहा

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जायेंगे ये जहां तनहा
                             --- मीना कुमारी 'नाज़'

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