Jan 22, 2011

जिंदगी यूँ हुई बसर तनहा

जिंदगी यूँ हुई बसर तनहा
काफिला साथ और सफ़र तनहा

अपने साए से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तनहा

रात भर बोलते हैं सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तनहा

दिन गुज़रता नहीं है लोगों में
रात होती नहीं बसर तनहा

हमने दरवाज़े तक तो देखा था
फ़िर न जाने गए किधर तनहा
                                     ---- गुलज़ार  

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