अब नए साल की मोहलत नहीं मिलने वाली
आ चुके अब तो शब्-ओ-रोज़ अज़ाबों वाले
अब तो सब दशना-ए-खंज़र की जुबां बोलते हैं
अब कहाँ लोग मोहब्बत के निभाने वाले
ज़िंदा रहने की तमन्ना हो तो हो जाते हैं
फाख्ताओं के भी किरदार उकाबों वाले
न मेरे ज़ख्म खिलने हैं न तेरा रंग-ए-हिना
मौसम आये ही नहीं अबकी गुलाबों वाले
--- फ़राज़
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अहमद फ़राज़ (उर्दू : احمد فراز) पाकिस्तानी उर्दू शायर थे| उनका असली नाम सएद अहमद शाह (سید احمد شاہ) था. अहमद फ़राज़ का देहांत २५ अगस्त २००८ को इस्लामाबाद में हुआ|
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