अपने हर हर लफ्ज़ का खुद आइना हो जाऊँगा
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं
मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा
मुझको चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो काफ़िला बन जाऊँगा
सारी दुनिया कि नज़र में है मेरा अहेद-ए-वफ़ा
एक तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊंगा
----- वसीम बरेलवी,
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं
मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा
मुझको चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो काफ़िला बन जाऊँगा
सारी दुनिया कि नज़र में है मेरा अहेद-ए-वफ़ा
एक तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊंगा
----- वसीम बरेलवी,
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