Jan 27, 2011

ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा

ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं आप को धोखा हुआ होगा

यहाँ तक आते आते सूख जाती हैं सभी नदियाँ
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा

गज़ब ये है कि अपनी मौत कि आहट नहीं सुनते
वो सब के सब परेशाँ हैं वहाँ पर क्या हुआ होगा

तुम्हारे शहर में ये शोर सुन-सुन कर तो लगता है
कि इंसानों के जंगल में कोई हनाका हुआ होगा

कई फ़ाके बिता कर मर गया जो उसके बारे में
वो सब कहते हैं अब ऐसा नहीं ऐसा हुआ होगा

यहाँ पर सिर्फ गूंगे और बहरे लोग बसते हैं
खुदा जाने यहाँ पर किस तरह जलसा हुआ होगा

चलो अब यादगारों कि अँधेरी कोठरी खोलें
कमज्कम एक वो चेहरा तो पहचाना हुआ होगा
                                                           ----- दुष्यंत कुमार  

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