अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे
तेरी मर्ज़ी की मुताबिक नज़र आयें कैसे
घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएं कैसे
कह कहा आँख कि बर्ताव बदल देता है
हंसने वाले तुझे आंसू नज़र आयें कैसे
कोई अपनी ही नज़र से तो हमे देखेगा
इक क़तरे को समंदर नज़र आये कैसे
----- वसीम बरेलवी
तेरी मर्ज़ी की मुताबिक नज़र आयें कैसे
घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएं कैसे
कह कहा आँख कि बर्ताव बदल देता है
हंसने वाले तुझे आंसू नज़र आयें कैसे
कोई अपनी ही नज़र से तो हमे देखेगा
इक क़तरे को समंदर नज़र आये कैसे
----- वसीम बरेलवी
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