Jan 24, 2011

मैं अपने ख्वाब से बिछड़ा नज़र नहीं आता

मैं अपने ख्वाब से बिछड़ा नज़र नहीं आता
तू इस सदी में अकेला नज़र नहीं आता

अजब दबाव है इन बाहरी हवाओं का
घरों का बोझ भी उठता नज़र नहीं आता

मैं इक सदा पे हमेशा को घर छोड़ आया था
मगर पुकारने वाला नज़र नहीं आता

मैं तेरी राह से हटने को हट गया लेकिन
मुझे तो कोई भी रास्ता नज़र नहीं आता

धुंआ भरा है यहाँ सभी कि आँखों में
किसी को घर मेरा जलता नज़र नहीं आता
                                                   ---- वसीम बरेलवी 

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