Jan 17, 2011

ये रात ये तन्हाई

ये रात ये तन्हाई 
ये दिल के धड़कने की आवाज़ 
ये सन्नाटा 

ये डूबते तारों की 
खामोश ग़ज़ल ख्वानी 
ये वक़्त की पलकों पर 
सोती हुई वीरानी 
जज़्बात-ए-मोहब्बत की 
ये आखिरी अंगडाई 
बजती हुई हर ज़ानिब 
ये मौत की शहनाई 

सब तुम को बुलाते हैं 
पल भर को तुम आ जाओ 
बंद होती मेरी आँखों में 
मोहब्बत का 
इक ख्वाब सजा जाओ 
                     --- मीना कुमारी 'नाज़'  

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